अलवर की जगन्नाथ रथ यात्रा 2025
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अलवर की जगन्नाथ रथ यात्रा 2025

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 2025 में अलवर की गलियों से होकर निकलेगी। जानिए इसकी तारीख, रथ मार्ग और धार्मिक महत्व से जुड़ी सारी जानकारी।

अलवर की जगन्नाथ रथ यात्रा के बारे में

अलवर की जगन्नाथ रथ यात्रा भक्तिभाव और उल्लास से परिपूर्ण होती है। भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा की मूर्तियों को रथ पर विराजित कर शहर में शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें हज़ारों श्रद्धालु शामिल होते हैं। आइये जानते हैं इसके बारे में...

अलवर में जगन्नाथ रथ यात्रा कब है?: जानें तिथि एवं समय 2025

अलवर की पावन धरती इस वर्ष एक ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनने जा रही है, क्योंकि वर्ष 2025 में अलवर वासियों को भगवान जगन्नाथ की दो भव्य रथ यात्राएं दिव्य दर्शन देने वाली हैं। पहली यात्रा परंपरागत तौर पर सुभाष चौक स्थित जगन्नाथ मंदिर से निकलेगी, जिसका इतिहास 171 वर्ष पुराना है। वहीं, दूसरी जगन्नाथ रथ यात्रा पहली बार इस्कॉन मंदिर कमेटी द्वारा आयोजित की जा रही है, जो पुरी की शैली में निकाली जाएगी। पहली यानी परंपरागत रथ यात्रा का समय 4 जुलाई 2025 शाम 6:00 बजे होगा। वहीं इस्कॉन की रथ यात्रा 29 जून 2025 शाम 4:00 बजे निकलेगी।

पुरी और अलवर रथ यात्रा में क्या अंतर है? जानें परंपरा और महत्व में फर्क

पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा भारत की सबसे प्राचीन और मूल रथ यात्रा है, जिसकी जुड़े हजारों वर्षों पुरानी हैं। वहां भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी अपने रथ में सवार होकर ‘गुंडिचा मंदिर’ तक जाते हैं, जहां वे नौ दिन तक विश्राम करते हैं, और फिर लौटते हैं। पुरी में दारुक यानी नीम की लकड़ी से हर साल नया रथ बनाया जाता है, जिसे बनने में करीब 2 महीने का समय लगता है।

वहीं अलवर में इस बार दो प्रकार की रथ यात्राएं निकलेंगी। पहली यात्रा जो 171 वर्षों से लगातार निकल रही है, उसमें हर साल एक ही रथ को उपयोग में लाया जाता है, और जगन्नाथ मंदिर मेला कमेटी इसका आयोजन करती है, जिसमें भगवान जगन्नाथ और माता जानकी का विवाह महोत्सव मनाया जाता है।

दूसरी, इस्कॉन रथ यात्रा इस बार पुरी की शैली में आयोजित होने वाली है, जिसमें श्रद्धालु स्वयं रथ को रस्सियों से खींचेंगे, साथ ही वे पुरी जगरनाथ रथ यात्रा की तरह ही इसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के दर्शन कर सकेंगे। बता दें कि इस्कॉन की रथ यात्रा अलवर में पहली बार हो रही है।

अलवर रथ यात्रा का इतिहास एवं विशेषताएं

अलवर के पुराना कटला स्थित सुभाष चौक के जगन्नाथ मंदिर से निकलने वाली रथ यात्रा का इतिहास करीब 171 साल पुराना है। हर वर्ष यहां कलश स्थापना, विशेष पूजन, अखंड कीर्तन, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ एक विशाल यात्रा का आयोजन होता है।

2025 की परम्परागत रथ यात्रा के प्रमुख कार्यक्रम इस प्रकार हैं

  • 23 जून से गणेश पूजन व कलश स्थापना से महोत्सव की शुरुआत होगी।
  • 30 जून से 3 जुलाई तक 72 घंटे का अखंड कीर्तन होगा और इस दौरान मुख्य मंदिर बंद रहेगा।
  • 3 जुलाई को महाआरती होगी, जिसके बाद भगवान दूल्हे के रूप में दर्शन देंगे।
  • 4 जुलाई से रथयात्रा का शुभारंभ होगा, जिसमें भगवान जगन्नाथ और माता जानकी की सवारी निकाली जाएगी।
  • 6 जुलाई को वरमाला महोत्सव होगा।
  • 8 जुलाई को रथ यात्रा की वापसी होगी।
  • 10 जुलाई को जानकी जी की मुंह दिखाई होगी इसके बाद हवन और भंडारे का आयोजन किया जाएगा।

इस्कॉन रथ यात्रा की विशेषताएं इस प्रकार हैं

  • भगवान के विग्रह वृंदावन के इस्कॉन मंदिर से आएंगे।
  • नीम की लकड़ी से निर्मित रथ की ऊंचाई 25 फीट और विग्रह 3 फीट का होगा।
  • रात को 100 भक्त मिलकर हाथों से खींचेंगे।
  • सजावट में 200 किलो फूलों का उपयोग किया जाएगा।
  • 200 स्वयंसेवक सेवा और सुरक्षा के लिए तैनात रहेंगे।

यात्रा का रूट और व्यवस्थाएं

परंपरागत रथ यात्रा का मार्ग (4 जुलाई)

परंपरागत रथ यात्रा सुभाष चौक से होते हुए रूपहरि मंदिर और फिर रूपबास तक जाएगी। रास्ते में कई सांस्कृतिक झांकियां होंगी, और सैकड़ो भक्त इस यात्रा में भाग लेंगे।

इस्कॉन रथ यात्रा का मार्ग (29 जून)

इस्कॉन रथ यात्रा अलवर पुलिस कंट्रोल रूम से शुरू होगी जो स्वामी दयानंद मार्ग के रिवाज रिजॉर्ट तक जाएगी पूरे मार्ग पर सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाएगा। यात्रा को मनमोहन और सुव्यस्थित बनाने के लिए इस दौरान कई विशेष इंतेज़ाम किए जाएंगे, जिसमें श्रद्धालुओं के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवक सभी का सहयोग रहेगा।

तो ये थी अलवर जगन्नाथ रथ यात्रा की रोचक झलक, जो हर साल हजारों भक्तों को एक साथ जोड़ती है। अगर आप भी इस पावन रथ यात्रा का हिस्सा बनने की इच्छा रखते हैं, तो समय रहते अपनी तैयारी कर लें। और हां, रथ यात्रा से जुड़ी अन्य रोचक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' पर।

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Published by Sri Mandir·June 26, 2025

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